Festivals

Govardhan Pooja 2023 : गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं? | जानिए गोवर्धन पूजा की पूरी कहानी

हमें दूरदर्शन DOORDARSHAN और रामानंद सागर के द्वारा निर्देशित टेलीविजन धारावाहिक (Show) SHRI KRISHNA का बहुत शुक्रगुजार होना चाहिए जिसने हमें अपनी संस्कृति से जोड़े रखा, जिससे आज के बहुत से युवा वंचित हैं। दूरदर्शन के कारण ही आज मैं इस आर्टिकल के विषय “गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं?” Govardhan Pooja Kyu Manai Jati Hai शीर्षक की जानकारी आपतक पहुँचाने में खुद को सक्षम समझता हूँ। हम यह भी जानेगें की 2023 me Govardhan Pooja कब है और Govardhan Pooja का मुहूर्त क्या है।

Source: Google

गोवर्धन पूजा कब मनाते हैं ?

गोवर्धन पूजा Govardhan Puja या अन्नकूट (अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह) पर्व दिवाली के अगले दिन मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा में गोधन यानी गायों की पूजा की जाती है।गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारम्भ हुई। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है|

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को यह  उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करते हैं। इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है। 

Source : Google

यह दिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष (उज्ज्वल पखवाड़े) के पहले चंद्र दिन पर मनाया जाता है। इस दिन का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है क्योंकि इसी दिन कृष्ण भगवान ने गोवर्धन पहाड़ी उठाकर इंद्र देव को हराया था।

2023 में गोवर्धन पूजा कब है ? | गोवर्धन पूजा 2023 की तारीख व मुहूर्त

दिवाली के दूसरे दिन यानि 2023 में गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

गोवर्धन पूजा 2023 date और मुहूर्त 

 गोवर्धन पूजा 2023   मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को
  गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त    06:33 ए एम से 08:46 ए एम
  प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ   नवम्बर 13, 2023 को 02:56 पी एम बजे
  प्रतिपदा तिथि समाप्त    नवम्बर 14, 2023 को 02:36 पी एम बजे
गोवर्धन पूजा का सायंकाल मुहूर्त 5:25 पी एम से 9:36 पी एम

Govardhan Parvat गोवर्धन पर्वत का रहस्य क्या है ?

गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं ,यह जानने से पहले आइए पहले जानते हैं कि गोवर्धन पर्वत का रहस्य क्या है ? 

गिरिराज पर्वत को गोवर्धन पर्वत कहा जाता है, और इस पर्वत के साथ एक रहस्य जुड़ा हुआ है।

एक बार, ऋषि पुलस्त्य ने इस पर्वत की सुंदरता को देखकर प्रभावित होकर इसे द्रोणांचल पर्वत से उठाने का निर्णय किया। गोवर्धन जी ने ऋषि से कहा कि वह उनके साथ जाने के लिए तैयार हैं, लेकिन एक शर्त है – जहां वह पहली बार रखे जाएंगे, वहीं पर्वत स्थापित हो जाएगा। ऋषि ने सहमति दी और पर्वत को साथ लेकर चले गए।

रास्ते में, ऋषि को ध्यान लगाने का समय आया, और उन्होंने पर्वत को नीचे रखा। एक बार नीचे रखने के बाद, पर्वत वहीं स्थापित हो गया और ऋषि ने उसे हिलाने की कोशिश नहीं की। ऋषि का क्रोध उत्तेजित हो गया और उन्होंने पर्वत पर हर दिन होने वाले संकट का श्राप दे दिया। इसके बाद से, गोवर्धन पर्वत हर दिन थोड़ा सा छोटा हो रहा है। कहा जाता है कि पाँच हजार वर्ष पहले, गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई लगभग 30 हजार मीटर थी, जिसने अब 30 मीटर तक कम हो गई है।

गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं? Govardhan Pooja Kyu manate hain | गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा 

गोवर्धन पूजा संबंध भगवान कृष्ण से है और इसकी शुरुआत भी द्वापर युग में ही हो गई थी।इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी। लेकिन इससे पहले ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे।भगवान कृष्ण का तर्क था कि, देवराज इंद्र गोकुलवासियों के पालनहाल नहीं हैं। बल्कि उनके पालनहार तो गोवर्धन पर्वत हैं। क्योंकि यहीं ग्वालों के गायों को चारा मिलता है, जिनसे लोग दूध प्राप्त करते थे।
भगवान कृष्ण ने कहा कि, गोवर्धन पर्वत तो हमारे सामने है हमें इतना कुछ देते हैं लेकिन इंद्र को तो हमने देखा भी नहीं और अगर हम उनकी पूजा न करे तो वह नाराज हो जाते है। उनकी बात मान कर सभी ब्रजवासी इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे।

देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और प्रलय के समान मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी।भारी बारिस का प्रकोप लगातार 7 दिन तक चलता रहा और भगवान कृष्ण ब्रजवासियों को उसी गोवर्धन पर्वत के नीचे छाता बनाकर बचाते रहे।

गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं ?
Source : Google

तब भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों की भारी बारिश से रक्षा की थी और गोवर्धन पहाड़ी उठाकर इंद्र देव को हराया था।


यह भी पढ़ें :

होली का त्यौहार कब और क्यों मनाते हैं?

छठ पूजा क्या है ?

भाई दूज क्यों मनाते हैं?


इसके बाद इंद्र को मालूम हुआ कि, श्रीकृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं। फिर बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी ब्रजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है।

अन्नकूट पर्व पर श्रद्धालु तरह-तरह के पकवानों , मिठाइयों  से भगवान कृष्‍ण को भोग लगाते हैं। 

गोवर्धन पूजा का महत्व :
  • ऐसा माना जाता है कि ये उत्सव खुशी का उत्सव है और इस दिन जो दुखी रहेगा तो वो वर्ष भर दुखी ही रहेगा।
  • इस दिन खुश रहने वाला व्यक्ति वर्ष भर खुश रहेगा। इसलिए गोवर्धन पूजा पूजा को करना बहुत ही जरूरी है।
  • शास्त्रों के मुताबिक अगर गोवर्धन पूजा के दिन गाय की पूजा की जाए तो व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

निष्कर्ष :

गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं? , 2023 me Govardhan pooja kab hai , Govardhan Pooja 2023 Muhurt  ब्लॉग पोस्ट पसंद आया य कुछ नया सीखने को मिला हो तो कृपया इसे अपने facebook और नीचे दिए दूसरे सोशल प्लेटफार्म के जरिये दूसरों को इस पर्व की जानकारी जरूर शेयर करें।
यदि आप चाहते हैं की इसमें कुछ सुधार की जरूरत है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
आपके कमेंट प्रेरणा स्रोत हैं।

आपके Comment  प्रेरणास्रोत हैं।
धन्यवाद!

10 thoughts on “Govardhan Pooja 2023 : गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं? | जानिए गोवर्धन पूजा की पूरी कहानी

  • Pavan Yadav

    Aaj ki Genration k Liye Mahtavpurn jankari by jankari for u…👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻

      • आपकी पोस्ट पढ़ कर काफी कुछ जानने को मिला । सुक्रिया…

  • Yess vital for this generation precisely…
    Krishna ki sharan mai akar bhakt naya jeevan pate hai islea govardhan ki pooja ka din hum sacche man se mante hai…. Happy govardhan pooja..!!!!

  • Supriya Srivastava

    Goverdhan puja…. Ke kuch facts to jankari 4u s mili….. Aj ke kalyug me bhagwaan krishan ji ko mana jata hai ki wo is kalyug me hai…. Ar mathura m ye puja specially hoti hai…….. Happy Goverdhan puja🙏 to all

  • Payal Kanwar

    Happy gorvardhan 🙏

  • अनुभव सिंह

    इस अदभुत जानकारी के लिए धन्यवाद इतना गहनता से तो मुझे भी पता नही था।ऐसे ही हरहफ्ते नया पन लेकर आते रहिये आपका स्वागत रहेगा ।

    • शुक्रिया भाई।
      संस्कृति से जुड़े रहना जरूरी है

  • Swapnil

    ऐसी गहनता से किसी पर्व के बारे मे बताने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. इसी बहाने हमे अपनी संस्कृति के बारे में और गहरायी से जानकारी होगी.

Comments are closed.