भाई दूज क्यों मनाते हैं?
जैसा की हम सब जानते हैं दीपावली का त्यौहार हम सभी 5 दिनों तक मनाते हैं।
पहला दिन धनतेरस का होता है जिस दिन सोने ,चांदी से बनी चीजों की खरीदारी करना शुभ माना जाता है।
दूसरा दिन नरक चतुर्दशी का होता है जिसे छोटी दिवाली के नाम से हम जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि-
तीसरा दिन दीपावली का होता है जिस दिन हम अपने घरों को दीपों और रंगोली बना कर और गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा करके धूमधाम से मनाते हैं।
चौथा दिन हम गोवर्धन पूजा के रूप में मनाते हैं। गोवर्धन पूजा क्यों मनाते हैं? से सम्बंधित जानकारी मेरे पिछले ब्लॉग पोस्ट पर पढ़ सकते हैं।
पांचवा दिन भैय्या दूज के रूप में मनाया जाता है।
आज का हमारा आर्टिकल “भाई दूज क्यों मनाते हैं?”, और इससे जुड़े कुछ तथ्यों पर आधारित है। इसे भैय्या दूज के नाम से हम भी जानते हैं।
हिन्दू धर्म में भाई-बहन स्नेह से सम्बंधित दो त्यौहार प्रचलित हैं – एक रक्षाबंधन और दूसरा भाई दूज।
जहाँ रक्षाबंधन में भाई, बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है वहीं भाई दूज में बहन भाई की लम्बी उम्र की कामना करती है। उत्तर भारत में इस पर्व को अलग-अलग तरह से मनाने की परंपरा हैं। ऐसी मान्यता है की यदि इस दिन भाई अपनी बहन के यहाँ भोजन है उन्हें लम्बी उम्र की प्राप्ति होती है।

भाई दूज से जुड़ी कथा
यह कहानी यमराज और उनकी बहन पर आधारित है। यमराज की बहन यमुना थी जो उन्हें बहुत स्नेह करती थीं और यमराज को अपने घर भोजन करने के लिए आमंत्रित करती रहती थीं लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त होने के कारण यमुना का निमंत्रण टाल दिया करते थे।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की दिव्तीय तिथि को यमुना यमराज को अपने घर पर बुलाने को वचनबद्ध कर लेती हैं। यमुना के इतना बुलाने पर यमराज सोचने लगते हैं मैं तो दूसरों के प्राणों को हरने वाला हूँ, मुझे कोई अपने घर नहीं बुलाता। वे अपनी बहन यमुना के इतना बुलाने पर स्नेह मुग्द हो जाते हैं और बहन के घर की ओर निकल पड़ते हैं। ऐसा माना जाता है कि निकलते वक़्त वे नरक के सभी जीवों को मुक्त कर देते हैं।
अपने प्रिय भाई को अपने घर आता देख यमुना बहुत खुश होती हैं और यमराज आगमन पर उनका स्वागत तिलक लगाकर और अलग अलग प्रकार के भोजन से करती हैं। अपनी बहन से इतना सम्मान और स्वागत-सत्कार देख कर यमराज बहुत खुश हो उठते और यमुना से वरदान मांगने को कहते हैं।
यमुना यमराज से कहती हैं आज के दिन जो भाई यमुना के जल का स्नान करें और अपनी बहन के घर जाकर भोजन करे उसे यमलोक का भय न रहे।यमराज तथास्तु कहकर , अमूल्य वस्त्र और आभूषण दे कर चले जाते हैं।तब से यह प्रथा बन गई है और भैया दूज का पर्व मनाया जाता है।
भाई दूज कब मनाया जाता है ?
कार्तिक शुक्ल पक्ष की दिव्तीय तिथि को यानी प्रत्येक वर्ष दिवाली के दूसरे दिन भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को अपने घर पर आमंत्रित करती हैं और माथे पर तिलक लगाकर तथा अलग-अलग प्रकार के भोजन कराकर स्वागत-सत्कार करती हैं।
निष्कर्ष :
मुझे उम्मीद है की आपको मेरा यह छोटा मगर जानकारी रहित ब्लॉग आर्टिकल “भाई दूज क्यों मनाते हैं?” जरूर पसंद आया होगा।
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भाई दूज की शुभ कामनाऍ
आपके ब्लॉग्स पढ़ कर अच्छा लगता. हर बार कुछ नयी जानकारी मिलती है. साभार धन्यवाद.