Holi kyu manate hain | Hiranyakashyap story in hindi | Holi k tyohar par Nibandh Hindi mein
हमारा भारत देश अपने तीज त्यौहारों के लिए विश्व विख्यात है। होली भी एक ऐसा त्यौहार है जिसे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। रंगों के इस त्यौहार को बच्चे बूढ़े ,सभी उम्र के लोग बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाते हैं। आज के समय में बहुत से बच्चों और नवजवानो को होली क्यों मनाते हैं और कब मनाते हैं ? होलिका कौन थी ? Holika Kaun Thi in Hindi , हिरण्यकश्यप कौन था?Hiranyakashyap & death story in hindi जैसे विषयों की जानकारी नहीं है। रंगो का यह पावन पर्व भारतीय संस्कृति को दर्शाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसकी अपनी एक पौराणिक मान्यता है। कई बार छोटे बच्चों के स्कूलों में भी होली पर निबंध या Holi kyu manai jati hai par Nibandh Hindi mein लिखने को मिलता है उनके लिए भी यह ब्लॉग बहुत उपयोगी है तो इस ब्लॉग को पूरा जरूर पढ़ें।
आज का यह ब्लॉग आर्टिकल आप सभी को ,खासकर उन बच्चों और नवजवानो के लिए है जिन्हे होली का त्यौहार पसंद तो बहुत है पर रंगो के इस त्यौहार की पूरी जानकारी नहीं है।
होली का त्यौहार क्यों मनाते हैं Holi Kyu Manate hain in Hindi यह जानने के लिए आपको यह जानना बहुत जरूरी है कि हिरण्यकश्यप कौन था? और होलिका कौन थी ?
हिरण्यकश्यप हिरण्यकरण वन नामक स्थान का दैत्यों का महाबलशाली राजा था। ब्रह्मा की कठोर तपस्या करके उसने वरदान प्राप्त किया था कि – “कोई भी मनुष्य, स्त्री, देवता, पशु-पक्षी, जलचर इत्यादि, न ही दिन में और न ही रात्रि में, न घर के बाहर और न घर के भीतर, किसी भी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से उसे मार नहीं पायेगा।”” इस वरदान के कारण वह खुद को अमर समझता था और लोगों पर अत्याचार करता था। अपनी प्रजा से उसकी पूजा करने को कहता था।
हिरण्यकश्यप के चार पुत्रों में से एक प्रह्लाद नाम का पुत्र था जो एक अशूर पुत्र हो कर भी भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। प्रह्लाद की विष्णु के प्रति उसकी भक्ति उसे पसंद न थी क्युकी हिरण्यकश्यप के छोटे भाई का वध भगवान विष्णु ने किया था जिससे वह उनसे नफरत करता था। वह अपनी प्रजा के लोगों से भी विष्णु की जगह खुद की पूजा करने को कहता था। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को विष्णु की आराधना करने से कई बार रोका और उसके ना मानाने पर उससे जान से मारने की कई बार विफल कोशिश भी की।
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होलिका हिरण्यकश्यप की छोटी बेहेन और प्रह्लाद की बुआ थी। इसका जन्म जनपद- कासगंज के सोरों शूकरक्षेत्र नामक स्थान पर हुआ था। होलिका को भगवन शिव से यह वरदान के रूप में एक वस्त्र प्राप्त था कि जबतक वह उस वस्त्र में रहेगी वह आग में नहीं जल सकती। इस वरदान का लाभ उठाने और प्रह्लाद की हत्या करने करने लिए हिरण्यकश्यप ने होलिका से सहायता मांगी। उसने होलिका को यह आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए जिससे प्रह्लाद की जलकर मृत्यु हो जाएगी। प्रह्लाद भगवान के बहुत बड़े भक्त थे और उन्ही की कृपा से प्रह्लाद को कुछ न हुआ और होलिका जल कर राख हो गई और प्रह्लाद का बल भी बांका न हो सका।
उसदिन के बाद से भारत में बुराई की अच्छाई के ऊपर जीत की खुशी के रूप में होलिका जलाने की प्रथा और उसके अगले दिन होली का त्यौहार मनाने की प्रथा शुरू हुई। होली शब्द को भी होलिका से ही लिया गया है
होली के एक दिन पहले रात में लकड़ी , गोबर ,घास के ढेर को इकठ्ठा कर के उन्हें जलाते हैं जिसमे हम अपनी बुराई को जलाने का संकल्प लेते हैं और एक नई शुरवात करने का वचन लेते हैं।
हिन्दू सभ्यता में ही नहीं बल्कि मुस्लिमो में भी होली पर्व का अपना महत्त्व है। बहुत से मुस्लिम कवियों ने भी होली पर्व का जिक्र अपनी कविताओं में किया है। मुग़ल काल के राजा जैसे अकबर , हुमायूं होली पर्व की तैयारी समय से पहले शुरू करा देते थे। इससे यह प्रतीत होता है कि होली का पर्व न केवल सच्चाई की अच्छाई पर जीत का पर्व है बल्कि भाई चारे के भी प्रतीत है। जिस प्रकार इस पर्व में हम हर प्रकार के रंगों का प्रयोग करते हैं उसी प्रकार हमें एक साथ मिलजुल कर भाई चारा निभा कर एक साथ रहना चाहिए।
होली के त्यौहार की अपनी सांस्कृतिक और पौराड़िक मान्यता है जिसका उल्लेख पुराने ग्रंथों ,वेदो में भी मिलता है। ऐसा मानाजाता है कि होली के त्यौहार की शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी से हुई थी जिसे आज पूरे देश में मनाया जाता है। भारत में पहली बार होलिका दहन झांसी से करीब 70 किलोमीटर दूर के एक प्राचीन नगर एरच में ऊंचे पहाड़ पर ही हुआ था। झांसी में एक वह जगह आज भी मौजूद है, जहां होलिका दहन हुआ था और इस नगर को भक्त प्रह्लाद की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
गुझिया होली में मीठे के रूप में बनने वाली सबसे प्रशिद्ध मिठाई है जिसे मीठे खोए का उपयोग कर के बनाया जाता है। इसदिन बहुत से लोग भांग का भी सेवन करते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार होली का त्यौहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है जिसे होली का पहला दिन भी कहा जाता है।
(2021 में होली ) Holi in 2021
(2022 में होली कब है ? ) Holi in 2022
(2023 में होली कब है ) Holi in 2023
बसंत ऋतू का स्वागत करने के लिए भी हम होली का त्यौहार मनाते हैं। जिस प्रकार बसंत ऋतू में अलग अलग रंगों की छठा दिखाई देती है उसी प्रकार इस ऋतू को दर्शाने के लिए होली पर्व पर अलग अलग रंगो से होली खेली जाती है। हिन्दू धर्म में होली पर्व बहुत महत्त्व रखता है और इसे वसंतोत्सव भी कहते हैं।
निष्कर्ष :
आशा करता हूँ आपको जानकरी4U का यह लेख “होली क्यों मनाते हैं ” .Holi kyu manai jati hai par Nibandh in Hindi एवं हिरण्यकश्यप कौन था? Hiranyakashyap & death story in hindi और होलिका कौन थी? Holika Kaun Thi in Hindi जैसे सवालों के जवाब भी आप सभी को पसंद आए होंगे और आपको कुछ नयी जानकारी जरूर मिली होगी। आप सभी से निवेदन है कि इस जानकारी को जरूर शेयर करें जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक हो सकें।
जानकारी4U की तरफ से आपको और आपके पुरे परिवार को होली की ढेर शारी शुभ कामनाये।
अपने होली किस तरह मनाएंगे comment box में जरूर बताएं।
Happy Holi बुरा न मानो होली है
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1 Comments
Shivani Chitransh
March 27, 2021 at 12:02 pm👍👍